आखिर कब तक
आखिर क्यों 6 साल बाद भी कम नहीं हुईं "निर्भयाएं" ?
चीख सुनाई दे रही है, कानों के पर्दे फट रहे हैं, आंखों के सामने अंधेरा छा गया है। कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा, दिमाग एकदम सुन्न हो गया है। हे भगवान ! ये क्या.. अब एक और निर्भया ! एक के बाद एक कई निर्भयाएं पुकार रही हैं, इस उम्मीद के साथ कि शायद कोई तो उन्हें बचा ले। बचा ले उन दरिंदों से जो उन्हें नोंचने के लिए आ रहे हैं। छुपा दे ऐसी जगह, जहां इन दरिंदों की नजर इनपर न पड़े।
6 साल बाद आज फिर आंखों के सामने निर्भया आ गई और सवाल करने लगी.. 'मुझे नहीं छोड़ा, मैंने मौत को गले लगाया कि शायद तुम्हारी आंखों का पानी तुम्हें रास्ता दिखाए। लेकिन कितनी गलत थी मैं, तुम तो मुझे ऐसे भूल गए कि 6 सालों बाद एक और निर्भया सामने आ गई। केवल एक नहीं कितनी निर्भयाएं आईं, लेकिन तुम्हें उनकी आवाज नहीं सुनाई दी।
जब मैं गई थी.. तो तुमने कितने आंदोलन किए थे, मेरी आत्मा तो मानो अल्हादित हो उठी थी कि अब और कोई निर्भया नहीं बनेगी पर गलत थी मैं, कितनी गलत। बुरी तरह कचोट रहे हैं निर्भया के ये सवाल मुझे। नहीं समझ पा रहा हूं कि क्या कहूं, उस बच्ची से, कहां जाकर मुंह छिपाउं। बेटा माफ कर दो.. हम नहीं बचा पाए अपनी बच्ची को एक और निर्भया बनने से, माफ कर दो। लेकिन क्या माफी मिलेगी हमें ! नहीं कदापि नहीं। नहीं मिलेगी माफी और मिलनी भी नहीं चाहिए.. इन 6 सालों में कुछ भी तो नहीं बदला बिल्कुल भी नहीं।
यूं तो हमारे देश में नवरात्री में कन्या पूजन किया जाता है। जब तक कन्याओं को भोज न करा दें, तब तक कुछ खाते नहीं है, दिन शुरू नहीं करते कन्या पूजन के बिना। क्या इसीलिए कन्या पूजन करते हैं हम कि उस कन्या को हम इस तरह रौंद सकें। क्या रूह नहीं कांपती उनकी ?
अगर हम दुनिया के ओर देशों में देखें, तो 30 साल से लेकर उम्रकैद और फांसी तक की सजा है ऐसे अपराधियों के लिए। ऐसे देश, जिन्हें हम कट्टरपंथी कहते हैं, वहां तो ऐसे दरिंदों को पत्थर मारकर मार दिया जाता है और देवी पूजन, कन्या पूजन करने वाले हमारे इस देश में पुलिस रिपोर्ट, अपराधियों की पकड़, कोर्ट, सजा, हाईकोर्ट में मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में मामला, सजा और फिर सजा मिलने का इंतजार।
आखिर कब तक ऐसा ही चलेगा और कितनी निर्भयाएं बनेंगी, कब हम सुधरेंगे, कब हमारे देश की बेटियां अपने ही इस देश में सुरक्षित होंगी। आखिर कब ? इस कब का जवाब ही नहीं मिल रहा है मुझे, परेशान हूं, हैरान हूं, क्या कहूं और क्या करूं ? नहीं समझ आ रहा है कुछ भी.. बस आंखें भीग रही हैं, दिमाग फट सा रहा है, अगर आप बता सकते हैं तो जरूर बताईए की वो कौन सा दिन होगा, जब अपनी बच्ची को बाहर भेजते मां-बाप डरेंगे नहीं........... ? ?
Mohammed urooj khan
15-Apr-2024 11:58 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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kashish
11-Apr-2024 08:48 AM
V nice
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Varsha_Upadhyay
10-Apr-2024 11:31 PM
Nice
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